विद्यार्थी वाणी
क्या आपने कभी रुककर उस अबाध रचनात्मकता और गहन ईमानदारी की सही मायने में सराहना की है जो एक बच्चे के मन से फूटती है? हमारा मानना है कि दुनिया को Amazing Thoughts From Kids सुनने की ज़रूरत है! उनके चित्र, उनके अंतहीन सवाल, और उनकी अनूठी कला दुनिया को देखने का एक ताज़ा, अनफ़िल्टर्ड नज़रिया पेश करती है जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यह प्लेटफॉर्म हमारे सबसे छोटे योगदानकर्ताओं की इन अनमोल आवाज़ों और अद्भुत कलाकृतियों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है, यह साबित करते हुए कि बुद्धिमत्ता अक्सर सबसे छोटे रूप में आती है।
मा पराजयम् (हार मत मानो)
आरवः नामकः बालकः लीलाचलग्रामे वसति स्म। सः विमानं चालयितुम् इच्छति स्म। किन्तु तस्य पारिवारिकाः परिस्थितयः अत्यन्तं कठिनाः आसन्। तस्य निकटं पर्याप्तं धनं नासीत्। ग्रामवासिनः अपि तं उपहासं कुर्वन्ति स्म।
एकस्मिन् दिवसे तस्य मातुला रात्रौ उक्तवती — “हे आरव! एषः स्थानं तव कृते युक्तं अस्ति। स्वप्नं न परित्यज।” तस्य वचनं आरवः स्मरन् च छात्रवृत्त्यै आवेदनं कृतवान्।
सः साक्षात्कारसमये उक्तवान् — “अहं उड़ितुम् इच्छामि। अहं स्वग्रामवासिनः जनान् प्रति दर्शयितुम् इच्छामि यत् परिश्रमेन सर्वं साध्यं भवति।” तेन छात्रवृत्तिः प्राप्ता।
अतः — “स्वप्नानि सत्यं भवितुं शक्नुवन्ति, केवलं पराजयं जयितव्यम्।”
हिन्दी अनुवाद
हार मत मानो (मा पराजयम्)
आरव नाम का एक बालक लीलाचल नामक गाँव में रहता था। वह विमान चलाना चाहता था। परन्तु उसकी पारिवारिक परिस्थितियाँ बहुत कठिन थीं। उसके पास पर्याप्त धन नहीं था और गाँव के लोग उसका उपहास उड़ाते थे।
एक दिन उसकी मामी ने रात में कहा — “हे आरव! यह स्थान तुम्हारे लिए ठीक है, अपने सपने को मत छोड़ो।” इन वचनों को याद कर आरव ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया।
साक्षात्कार के समय उसने कहा — “मैं उड़ना चाहता हूँ। मैं अपने गाँव के लोगों को दिखाना चाहता हूँ कि परिश्रम से सब कुछ संभव है।” उसे छात्रवृत्ति मिल गई।
इसलिए –
“सपने सच होते हैं, बस हार को हराना होता है।”
आज के युग में व्यक्ति अनेक प्रकार के प्रेम और आकर्षण में उलझा हुआ है। फिर भी हम यदि चारों ओर दृष्टि डालें तो देख सकते हैं कि माँ का प्रेम सबसे श्रेष्ठ और निर्मल होता है। माँ हमारे जीवन की प्रथम गुरु होती है। वह हमें सिखाती है कि कठिनाइयों के सामने कभी हार नहीं माननी चाहिए। माँ सदा अपने पुत्र-पुत्रियों के हित के लिए तत्पर रहती है। चाहे कितनी भी परेशानियाँ क्यों न आएँ, वह अडिग रहती है। माँ के जीवन में त्याग, धैर्य, और करुणा की अद्भुत मिसाल देखने को मिलती है। माँ अपने बच्चों को सदैव प्रेरित करती है कि असफलता से डरना नहीं चाहिए। माँ का यह उपदेश जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की कुंजी है। यदि हम माँ की शिक्षाओं को हृदय से ग्रहण करें, तो हम किसी भी कठिनाई पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। अतः, माँ वास्तव में “अपराजिता” है वह कभी हार नहीं मानती, सदा आगे बढ़ती है और अपने बच्चों को भी सफलता की राह दिखाती है। स्वप्रः साक्षात्कार एवम् भावना – “माँ जैसी कोई नहीं; वह सदा हमें जीतना सिखाती है।”
नाम – मायरा अहमद
कक्षा – सातवीं ‘ब’
विद्यालय – भारतीय विद्या भवन दिल्ली
Amazing Thoughts From Kids को समझना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि बच्चों की कला का शैक्षिक महत्व बहुत गहरा है, जैसा कि प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थान मानते हैं।
